शीतल देवी एक भारतीय पैरा-आर्चर है। उनका जन्म जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में हुआ था। उनका जन्म फोकोमेलिया नमक दुर्लभ स्थिति में हुआ था, जिसके कारण वह बिना हाथो के पैदा हुई थी। वह गरीब परिवार से संबंध रखती थी। उनके पिता किसान है और माँ अपने बकरियों को संभालती है। 16 वर्षीय शीतल ने चीन के हांगझाऊ में हुए पैरा खेलों में दो स्वर्ण समेत तीन मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था।
शीतल को तीरंदाज की ट्रेनिंग अभिलाषा चौधरी और कुलदीप वधवान ने दी थी। सबसे पहले कोच उसे प्रोस्थेटिक्स के लिए मदद करना चाहते थे, लेकिन डॉक्टरों ने कहा-उसके मामले में प्रोस्थेटिक्स संभव नहीं है। शीतल को पैरो से पेड़ पर चढ़ने का शौक है। कोच ने शीतल को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। उनको ट्रेनिंग में बहुत मुसीबत हुई, लेकिन उन्होंने अपने पैरों से तीरंदाज चलना सीख लिया। उसके बाद उन्होंने 2021 में पहली बार उन्होंने किश्तवाड़ में भारतीय सेना की एक युवा प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था। वह जीत गई।
भारत की पहली बिना हाथ वाली शीतल विश्व रिकॉर्ड बनाने से चूक गई। शीतल ने विश्व रिकॉर्ड में 720 में से 703 अंक बनाये। तुर्की की क्यूरी गिर्डी ने एक एक्स्ट्रा पॉइंट पाकर उन्हें पीछे छोड़ दिया। शीतल ने दूसरा स्थान पाकर गोल्ड मैडल के लिए क्वलीफाई कर लिया।
शीतक देवी को राष्टपति द्रौपदी मुर्मू अर्जन अवार्ड्स देकर सम्मानित किया। 2024 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
[zombify_post]