राजस्थान में अनेकों महल और किले है, जिसे अलग-अलग समय पर अपने शासन काल में अलग-अलग शासको ने बनवाएं थे। हर महल और किले के साथ कोई न कोई कहानी जुडी हुई है। इस लेख में आप Amer Fort History in Hindi पढ़ेंगे। इस किले को एम्बर किले के नाम से भी जाना जाता है। इस किले को पूरा बनने में 100 से भी ज्यादा साल लगे थे। आमेर किले के बनने के पीछे बहुत लम्बा इतिहास है, साथ ही इससे कई कहानिया भी जुडी हुई है। जिसके बारे में आप इस लेख में जानेंगे।
Amer Fort History in Hindi
राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 11 किलोमीटर दूर स्तिथ आमेर का किला कभी मीना जनजाति का निवास स्थल हुआ करता था। लाल बलुआ पत्थर और मार्बल से बना ये आमेर का किला पहाड़ी के चार स्तरों पर बना हुआ है। और हर स्तर पर एक बहुत बड़ा आंगन है।
आमेर के किले के बनने के पीछे दो मशहूर कहानियां है। दोनों कहानियां नीचे क्रमशः दी गई है।
#1. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के लेफ्टिनेंट-कर्नल जेम्स टॉड के अनुसार इस जगह को पहले खोगोंग (Khogong) के नाम से जाना जाता था। उस समय एक बहुत ही अच्छे और उदार राजा का शासन था।
वे मीना जनजाति के राजा थे। उनका नाम रालुन सिंह था और उन्हें एलान सिंह चंदा (Elan Singh Chanda) के नाम से भी जाना जाता था। एक बार मीना राजा से एक राजपूत माँ और बच्चे ने आश्रय माँगा।
मीना राजा बहुत उदार और बड़े दिल के थे इसलिए उन्होंने उन दोनों माँ और बेटे को आश्रय दे दिया। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा हुआ, रालुन सिंह उसे मीना शासन का काम सिखाने लगे और उसे राज्य के कामों में भी शामिल करने लगे।
उस बच्चे का नाम ढोलाराय था और उसे दूल्हेराय के नाम से भी जाना जाता था। एक बार मीना राजा रालुन सिंह ने उसे मीना राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए दिल्ली भेजा। मीना राजवंश के लोग हमेशा अपने अस्त्र-शास्त्रों से सुसज्जित रहते थे
मीना राजवंश में एक बात को बहुत ही गोपनीय रखा गया था कि वे लोग दीवाली के दिन ही स्नान एवं पितृ तर्पण करते समय अपने शास्त्रों को स्वयं से अलग किया करते थे। एक दिन कछवाहा राजपूतों को इस गोपनीय बात का पता चल गया।
राजपूतों को इस बात का पता चलते ही वे दीवाली का बहुत ही बेसब्री से इंतजार करने लगे और दीवाली के दिन राजपूतों ने उन निहत्ते मीना वंश के लोगो पर पूरी तैयारी के साथ आक्रमण कर दिया और उस स्थान को उनकी लाशो के ढेर से भर दिया।
इस तरह राजपूतों ने खोगोंग पर अपना राज्य स्थापित किया। आज भी इतिहास के पन्नो में कच्छवाह राजपूतों के इस कार्य को बहुत ही शर्मनाक और कायरता वाली नज़रों से देखा जाता है।
राजा कांकिल देव ने 1036 में आमेर को अपनी राजधानी बनने पर पहला राजपूत निर्माण करवाया था। वर्तमान की अधिंकाश इमारते राजा मान सिंह के द्वारा ही बनवायी गई थी। उन इमारतों में से एक ईमारत आमेर का किला भी शामिल है।
आमेर के किले को 16 वीं शताब्दी में राजा मान सिंह द्वारा बनवाया गया था। इसे पहले कदीमी महल के नाम से भी जाना जाता था। यह महल बहुत ही प्राचीनतम माना गया है यह प्राचीन महल आमेर किले के पीछे घाटी में स्थित है।
#2. राजा नरवर के सोढा सिंह के पुत्र ढोलाराय ने लगभग 1137 में मीनाओ को युद्ध में परास्त किया और उसके बाद दौसा के बडग़ुर्जरो को भी इस युद्ध में परास्त किया और अपने कछवाह वंश का शासन स्थापित किया।
राजा नरवर के सोढा जी राजा रामचंद्र जी के पुत्र कुश के बाद के वंशज थे। दूल्हेराय के पुत्र कांकिल देव ने मीनाओ को परास्त कर आमेर को अपनी राजधानी बनाया।
इस वंश के शासक पृथ्वीराज, मेवाड़ के महाराणा सांगा के सामंत थे। पृथ्वीराज खानवा के युद्ध में राणा सांगा की ओर से लड़े थे। वे संत कृष्णदास पयहारी के भक्त थे।
Amer Fort Light And Sound Show
आमेर का किला राजा मान सिंह के द्वारा बनवाया गया है। यह किला अपनी सुंदरता तथा अद्भुत कलाकृति के कारण बहुत अधिक प्रसिद्ध है। यह किला बहुत ही ऊँची पहाड़ी पर स्थित है। यह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
इस किले में शाम के समय लाइट एंड साउंड शो का आयोजन किया जाता है। जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहाँ आते है। इस शो में राजपूत राजाओ की कहानियाँ सुनाई जाती है तथा उनको विस्तार पूर्वक समझाया भी जाता है।
इस शो में कहानियों के साथ-साथ उन वीर पुरुषों की गाथाएं भी गाई जाती है। इस समय का यह दृश्य बहुत ही अद्भुत होता है।
लाइट एंड साउंड शो की एंट्री फीस लगभग 295 रूपए है। तथा इस शो का समय अलग-अलग है। यह शो लगभग 52 मिनट का होता है।
महीने | टाइमिंग फॉर इंग्लिश | टाइमिंग फॉर हिंदी |
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अक्टूबर से फरबरी | शाम को 6:30 बजे से | शाम को 7:30 बजे से |
मार्च से अप्रैल | शाम को 7 बजे से | शाम को 8 बजे से |
मई से सितम्बर | शाम को 7:30 बजे से | शाम को 8:30 बजे से |
निष्कर्ष (Conclusion)
जयपुर के पास स्थित आमेर के किले को अलग-अलग शासकों ने समय-समय पर नुक्सान पहुंचाया लेकिन इसकी मरम्मत भी समय-समय पर होती रही है।
ये किला पहाड़ियों के ऊपर स्थित है और इस किले पर कभी मीना जनजाति के लोग निवास करते थे। लेकिन कछवाहा राजपूतों ने मीना जनजाति के लोगों पर हमला कर दिया और उन सब को मारकर वहां पर कब्ज़ा कर लिए और अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया।
फिलहाल इस किले को घूमने के लिए लोग देश-विदेश से आते है। और यहाँ पर कई तरह के कार्यक्रम भी होते है। जिनमे लोग हिस्सा लेते है और इस जगह का लुत्फ़ उठाते है।
आप भी इस खूबसूरत जगह पर घूमने के लिए जा सकते है। आपको यहाँ हमारे देश की संस्कृति को करीब से देखने का मौका मिलेगा।
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FAQ (Frequently Asked Questions)
आमेर फोर्ट किसने बनवाया था?
आमेर फोर्ट को कछवाह के राजपूत राजा मान सिंह ने 16 वीं शताब्दी में बनवाया था।
आमेर फोर्ट कहाँ हैं?
आमेर फोर्ट राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के पास है।
आमेर फोर्ट कब खुलता है?
आमेर फोर्ट पर्यटकों के लिए सुबह 9 बजे से शाम के 6 बजे तक खुला रहता है।
आमेर फोर्ट की एंट्री फीस कितनी है?
आमेर फोर्ट की एंट्री फीस भारतीय और गैर-भारतीय लोगों के लिए अलग-अलग है। भारतीय नागरिकों के लिए 50 रूपए प्रति व्यक्ति और भारतीय स्टूडेंट्स के लिए मात्र 10 रूपए है। हालाँकि विदेशी नागरिकों के लिए 550 रूपए प्रति व्यक्ति और विदेशी स्टूडेंट्स के लिए 100 रूपए प्रति व्यक्ति है।
जयपुर से आमेर फोर्ट की दुरी कितनी है?
जयपुर से आमेर फोर्ट की दुरी लगभग 12 किलोमीटर है।