इतिहास में कई ऐसी भुतहा इमारतें हैं जिनसे अजीब किस्से और कहानियां जुड़ी हुई हैं। मालचा महल भी उनमें से एक है। इस लेख में आप Malcha Mahal haunted story के बारे में जानेंगे। मालचा महल तुगलक काल का एक शिकार गृह है। इस इमारत को वलियात महल के नाम से भी जाना जाता है। 14वीं सदी में बनी मालचा महल इमारत अब भुतहा जगहों में से एक है। जानिए कहां है मालचा महल और कैसे यह एक शिकार गृह (hunting lodge) से भुतहा इमारत में तब्दील हो गई।
Malcha Mahal Haunted Story
रायसीना हिल के आस-पास के बहुत से ऐतिहासिक गांवों में से एक मालचा गांव भी है। मालचा महल इसी मालचा गांव में स्थित है। ये नई दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके के पास है।
मालचा महल बहुत समय से वीरान और खाली पड़ा था। लोगों की नज़र में ये तब आया जब इसमें रहने के लिए अवध के नवाब वाजिद अली शाह के वंशज आये।
साल 1985 के मई के महीने में मालचा महल को कथित तौर पर बेगम विलायत महल को दे दिया गया। बेगम विलायत महल के अनुसार वे अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह की परपोती थी।
1947 में आज़ादी के बाद अली रज़ा की माँ बेगम वलियत महल को भारतीय सरकार की तरफ से श्रीनगर में एक महल आवंटित किया गया। आग लगने के कारण साल 1971 में वह महल जल गया।
महल जल जाने के बाद बेगम वलियत महल नए घर की तलाश में अपने बच्चों और कुत्तों के साथ दिल्ली आ गई। दिल्ली आने के बाद वे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के एक वेटिंग रूम में अपने बच्चों के साथ रहने लगी।
उसी वेटिंग रूम में रहते हुए उन्होंने 9 साल तक उनके अवध के पैतृक संपत्ति को हुए नुक्सान का मुआवज़े लेने के लिए प्रदर्शन और विरोध करती रही। ये वही पैतृक संपत्ति थी जो अंग्रेजों ने नवाब वाजिद अली शाह से ले ली थी और उन्हें कलकत्ता भेज दिया था।
साल 1984 में भारत की तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के हस्तक्षेप के बाद, मालचा महल को मई 1985 में बेगम विलायत महल को सौंप दिया गया। मालचा महल मिलने के बाद वे तीनों अपने कुत्तों के साथ उसमे रहने के लिए चले गए।
जब वे उस मालचा महल में रहने के लिए गए तब उस महल में 9 कमरे थे। उस महल तब में न तो कोई बिजली, पानी की व्यवस्था थी और न ही उसमें कोई दरवाजे या खिड़कियाँ थीं।
लगभग तीन दशक पहले 10 सितंबर 1993 को विलायत महल ने आत्महत्या कर ली थी। ऐसा माना जाता है की बेगम विलायत महल ने अपने पास मौजूद कुचले हुए हीरों को निगलकर आत्महत्या कर ली थी।
विलायत महल के मरने के बाद भी उनके दोनों बच्चे सकीना और अली रज़ा मालचा महल में ही रह रहे थे। 2 सितम्बर 2017 में प्रिंस अली रज़ा की भी मृत्यु हो गई।
हालाँकि उनकी बहन सकीना महल अली रज़ा से पहले ही मर गई थी। अली रज़ा उर्फ साइरस का मृत शरीर उसी महल में मिला था।
मालचा और उसके आस-पास के रहने वाले स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है की बेगम विलायत महल की आत्मा अभी भी मालचा महल के खंडहरों में भटक रही है।
Malcha Mahal History
मालचा महल का निर्माण 1325 ई में दिल्ली सल्तनत के तब के सुल्तान फ़िरोज़ शाह तुगलक ने करवाया था। इसको बहुत समय तक एक शिकार गृह की तरह इस्तेमाल किया गया था।
बेगम विलायत महल के मालचा महल में आने के बाद इसको विलायत महल के नाम से भी जाना जाने लगा। बेगम विलायत महल अपने आप को अवध के नवाब वाजिद अली शाह की परपोती बताती थी।
नवाब वाजिद अली शाह को एक बेहतरीन नर्तक, कुशल संगीतकार और एक नाटक लेखक के रूप में जाना जाता था। उन्हें अंग्रेजों ने 1854 ई. में अवध की गद्दी से हटा दिया था।
अंग्रेजों ने अवध को अपनी सीमा में मिलाने के बाद नवाब वाजिद अली शाह को कलकत्ता भेज दिया। और लगभग तीन दशक बाद उनकी वहां पर मृत्यु हो गई। वाजिद अली के परिवार के अन्य लोग पुरे देश में फैले हुए थे।
बेगम विलायत महल का निवास बनने से पहले इस महल को बिस्तदारी का खंडहर कहा जाता था। बेगम विलायत महल के साथ उनकी बेटी सकीना महल और बेटा प्रिंस अली रज़ा उर्फ साइरस भी उस महल में रहे थे।
निष्कर्ष (Conclusion)
मालचा महल नई दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके के पास के जंगलो में स्तिथ है। ये महल अब हॉन्टेड जगहों में से एक है। इस महल में बेगम विलायत महल ने आत्महत्या कर ली थी।
विलायत महल की मृत्यु के बाद वहां के स्थानीय लोगों को ऐसा मानना है की विलायत की आत्मा अभी भी मालचा महल के खंडहरों में भटक रही है।
बहुत से लोग उस स्थान पर घूम कर आ चुके है। और उनका कहना है की ये जगह दुःख, त्रासदी और रहस्य से भरी हुई दिखाई देती है। मालचा महल के परिसर में भी लोगों ने कुछ अजीब महसूस किया है।
इस लेख में आपने मालचा महल के बारे में जाना। यदि आप भी एक बार वहां का अनुभव लेना चाहते है तो आप वहां जा सकते है।
दिल्ली सरकार की तरफ से हॉन्टेड हेरिटेज वॉक के नाम का एक टूर पैकेज है। इस टूर पैकेज में आपको मालचा महल घूमने को मिलेगा। मालचा महल का पता और उसके लिए परिवहन के बारे में जानने के लिए आप FAQs जरूर पढ़े।
इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई सवाल है तो आप हमे कमेंट करके पूछ सकते है। और इस लेख को आप शेयर जरूर करें ताकि और लोगों को भी मालचा महल के बारे में पता चल सके।
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FAQ (Frequently Asked Questions)
मालचा महल का निकटतम मेट्रो स्टेशन धौला कुआं मेट्रो स्टेशन है। मालचा महल और धौला कुआं मेट्रो स्टेशन के बीच की दूरी पैदल लगभग 3.2 किलोमीटर और वाहन से लगभग 6.5 किलोमीटर है।
मालचा महल नई दिल्ली के चाणक्यपुरी इलाके के पास है। यह सरदार पटेल मार्ग पर बिस्तदारी रोड, मालचा में स्थित है। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के दिल्ली अर्थ स्टेशन के बगल में है।
मालचा महल का निकटतम बस स्टॉप भारतीय साधु समाज बस स्टॉप है। मालचा महल और भारतीय साधु समाज बस स्टॉप के बीच सड़क मार्ग से पैदल दूरी लगभग 1.5 किलोमीटर और मुख्य सड़क से वाहन द्वारा लगभग 5 किलोमीटर है।
मालचा महल के निकटतम रेलवे स्टेशन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन है। मालचा महल और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के बीच की दूरी पैदल लगभग 7.5 किलोमीटर और वाहन से लगभग 11 किलोमीटर है।