आज भारत में ऐतिहासिक विरासत के तौर पर बहुत कुछ मौजूद हैं। जिसे देखने के लिए लोग देश-विदेश से हमारे देश में आते हैं। एलोरा केव्स भी ऐसी ही एक प्राचीन काल की धरोहर हैं। Ellora caves जिन्हें स्थानीय लोग वेरुल लेनी के नाम से बुलाते या जानते हैं महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्तिथ हैं। एलोरा केव्स को चरणनदरी पहाड़ियों में से खोद कर बनाया गया हैं। इस जगह पर 100 से भी ज्यादा गुफाएं हैं जिन्हें बेसाल्ट चट्टानों के अंदर से खोद कर बनाया गया हैं। इन सभी गुफाओं में से सिर्फ 34 गुफाएं ही आम लोगों के लिए खोली गयी हैं।
एलोरा की गुफाएं (Ellora caves)
एलोरा केव्स एक ऐतिहासिक स्थल हैं जो की महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में स्तिथ हैं। ये गुफाएं बेसाल्टिक ज्वालामुखी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं।
एलोरा एक बहु-धर्मिये भवन के तौर पर देखा जा सकता हैं। क्योंकि यहाँ पर हिन्दू, जैन और बुद्ध धर्म से जुडी मूर्तियों और कलाकृतियों को देखा जा सकता हैं।
Ellora caves की 34 गुफाओं में से 17 गुफाएं (गुफा 13 से 29 तक) हिन्दू धर्म से जुडी हैं, 12 गुफा (गुफा 1 से 12 तक) बौद्ध धर्म से और 5 गुफा (गुफा 30 से 34 तक) जैन धर्म से जुडी हैं।
एलोरा की अनोखी और अद्भुत वास्तुकला और बनावट की वजह से इसे साल 1983 में UNESCO के वर्ल्ड हेरिटेज की सूचि में भी शामिल किया गया।
एलोरा केव्स में सबसे शानदार बनावट है कैलाश मंदिर की जिसे 8वीं शताब्दी ई.पू. में बनाया गया था। इसकी उचाई 32 मीटर की है और ये एक ही विशालकाय चट्टान में से खोद और काटकर बनाया गया था।
एलोरा केव्स की प्रसिद्धी की वजह
वैसे तो एलोरा केव्स की बहुत सी विशेषताएं हैं पर इसके प्रसिद्ध होने की वजह हैं गुफा नंबर 16. एलोरा में ये पूरी जगह एक बड़े विशालकाय पत्थर से ही खोदकर बनाई गई हैं।
इस जगह को कैलाश मंदिर के नाम से जाना जाता हैं क्योंकि ये भगवन कैलाशपति शिव को समर्पित हैं और उनकी विशाल मूर्ति भी यहाँ उपस्थित हैं।
इस जगह की अद्भुत वास्तुकला और एक अखंड चट्टान से बनने की वजह ने इसे विश्व प्रसिद्ध बना दिया हैं। ऐसा माना जाता हैं की मंदिर को बनाने में कलाकारों और कारीगरों को लगभग 2 लाख टन वजन के बराबर पत्थर हटाने पड़े होंगे। इसका निर्माण राष्ट्रकूट के राजा कृष्णा-1 ने पल्लवों से जीत की खुशी में करवाया था।
एलोरा की गुफा का इतिहास (Ellora caves history)
पुरातात्विक सर्वेक्षण और अभियानों के अनुसार ऐसा माना जाता हैं की इन गुफाओं को 550 से 600 ई.पू. हिन्दू काल, 600 से 730 ई.पू. बौद्ध काल और अंत में 730 से 950 ई.पू. हिन्दू काल के दौरान बनाया गया था। एलोरा केव्स की दीवारों पर की गई नक्काशियां 6वीं शताब्दी की हैं।
एलोरा केव्स किसने बनवाया (Ellora caves built by)
गेरी हॉकफील्ड मलेंद्र और अन्य विद्वानों के अनुसार एलोरा केव्स का निर्माण तीन चरणों में हुआ है जिनमे सबसे पहले हिन्दू काल फिर बौद्ध काल और उसके बाद में हिन्दू और जैन काल हैं।
ऐसा माना जाता हैं की प्रारंभिक काल के गुफाएं जैसे की गुफा नंबर 29 कालचूरी राजवंश द्वारा बनवाई गई होंगी जो की भगवन शिव की मानते होंगे या उनकी पूजा करते होंगे। हालाँकि बौद्ध धर्म से जुडी गुफाएं चालुक्य राजवंश द्वारा बनवाई गई होंगी।
तीसरे चरण में बनी गुफाएं जिसमे हिन्दू धर्म से जुडी बाद की गुफाएं और जैन धर्म से जुडी शुरूआती गुफाएं राष्ट्रकूट राजवंशियों द्वारा बनवाई गई होंगी।
जबकि जैन धर्म से जुडी अंतिम गुफाएं यादव वंश द्वारा बनवाई गई थी। हालाँकि इन सभी गुफाओं के बनने का सटीक क्रम के बारे में एकदम ठीक-ठीक नहीं बताया जा सकता।
निष्कर्ष (Conclusion)
एलोरा की गुफाओं में हिन्दू, बौद्ध, और जैन धर्म से प्रभावित होकर बहुत सी मुर्तिया, मठ, मंदिर, और अद्भुत नक्काशियां की गई हैं। इन गुफाओं में भगवान शिव के अलावा दूसरे देवी-देवताओं की मूर्तियां भी बनाई गई हैं।
इससे हमें ये पता चलता हैं की शुरुआत में बने गुफाओं को लोगो ने भगवान् शिव को समर्पित किया तत्पश्चात दूसरे देवी-देवताओं को। हालाँकि Ellora caves में बने अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों से हम अंदाज़ा लगा सकते हैं की उस समय कलाकारों और कारीगरों ने सबको समान सम्मान दिया होगा।
5वीं शताब्दी से लेकर 11वीं शताब्दी ईसा पश्चात के बीच बने इन गुफाओं में से गुफा नंबर 29 (जिसे धूमर लेना (Dhumar Lena) भी कहा जाता हैं) सबसे पुरानी और सबसे बड़ी उत्खनन में से एक हैं।
एलोरा की गुफाओं में गुफा नंबर 16 का लोगो में बहुत ज्यादा आकर्षण हैं। क्योंकि यहाँ भगवान शिव का एक मंदिर बना हुआ है। जिसे वहा के लोग प्राचीन समय से (उस मंदिर को) वेरुल (Verul) कहते थे।
इसके अलावा सबसे पुरानी गुफाओं में से गुफा नंबर 21 जिसे हिन्दू रामेश्वर कहा जाता है, इसे 6वीं शताब्दी ई.पू. में बनाया गया था।
एलोरा केव्स को घूमने का सबसे अच्छा मौसम मानसून का हैं क्योंकि बारिश के पानी से यहाँ सब कुछ हरा भरा हो जाता हैं और खाली जगह पर बारिश का पानी भर जाता हैं।
एलोरा केव्स की टाइमिंग (Ellora caves timings) क्या हैं?
एलोरा केव्स मंगलवार को छोड़कर, हर दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुली रहती हैं।
एलोरा केव्स की एंट्री फीस (Ellora caves tickets & Ellora caves entry fees) कितनी हैं?
भारतीय, सार्क (SAARC) और बिम्सटेक (BIMSTEC) देश के नागरिको के लिए एंट्री फीस 40 रूपए नकद है, इसके अलावा अन्य माध्यम से 35 रूपए (Online, Credit or debit card etc.) प्रति व्यक्ति हैं। इन सभी देशों को छोड़कर अन्य देशों के नागरिको के लिए एंट्री फीस 600 रुपय नकद और अन्य माध्यमों से 550 रूपए प्रति व्यक्ति हैं। इसके अलावा 15 साल तक के बच्चो की एंट्री फीस नहीं हैं।
एलोरा केव्स के सबसे पास का बस स्टैंड कौन सा हैं?
एलोरा केव्स से लगभग 27 किलोमीटर की दुरी पर औरंगाबाद में 'सेंट्रल बस स्टैंड' एलोरा केव्स का सबसे नजदीकी बस स्टैंड हैं।
एलोरा केव्स के सबसे पास का रेलवे स्टेशन कौन सा हैं?
एलोरा केव्स के सबसे पास औरंगाबाद रेलवे स्टेशन हैं जो की एलोरा केव्स से लगभग 28 Km की दुरी पर हैं।